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मात्रा की समझ

हिंदी भाषा में मात्राओं का शिक्षण कराते समय सबसे बुनियादी बात है कि एक दिन में एक नई मात्रा सिखाएं। इससे उनको अपनी समझ पुख्ता करने में मदद मिलती है। उदाहरण के तौर पर अगर आपने बच्चों को ऋ वर्ण की मात्रा का प्रतीक बताया कि /ऋ/ वर्ण का प्रतीक है / ृ/। भाषा कालांश में मात्रा के लगने के बाद वर्णों के प्रतीक और आवाज़ में क्या बदलाव होता है, इसे भी स्पष्ट करें।

मात्रा लगने से क्या बदलाव होता है

किसी वर्ण में मात्रा लगने के बाद उसका प्रतीक और आवाज़ बदल जाती है। इस बात को बच्चों के सामने उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें। क+ ृ= कृ (कृपा), ग+ ृ= गृ (गृह), म+ ृ= मृ (मृग), घ+ ृ= घृ (घृणा), क+ ृ= कृ (कृपा), न+ ृ= नृ (नृत्य)

शब्द के किसी वर्ण में मात्रा लगने से उसका अर्थ भी बदल जाता है। जैसे मग शब्द में म के साथ ऋ की मात्रा (ृ) आने पर यह शब्द मृग हो जाता है। इस बात को उदाहरणों के माध्यम से बच्चों के साामने रखा जा सकता है।

ध्यान रखने वाली बात

बच्चों को नई मात्रा ऐसे वर्णों के साथ सिखाएं जिसे वे पहले से जानते हों। यह भी ध्यान रखें कि जो मात्रा हम सिखाना चाहते हैं उसके वर्ण प्रतीक और मात्रा प्रतीक को बच्चे पहचानते हों। हमें नई मात्रा सिखाने के बाद दो-तीन दिन तक बच्चों को उसके अभ्यास का मौका देना चाहिए। साथ ही साथ मात्रा से बनने वाले शब्दों के पढ़ने का अवसर देकर बच्चों की समझ को पुख्ता बनाया जा सकता है।

एक उदाहरण

अब हम नीचे ऋ की मात्रा और उसके प्रयोग का उदाहरण देखते हैं। ऋ की मात्रा का अभ्यास लिखित रूप में करवाने के लिए हम बच्चों को उपरोक्त शब्द मात्रा हटाकर दे सकते हैं। ताकि बच्चे मात्रा जोड़कर उस शब्द को लिखने का अभ्यास कर सकें। उदाहरण के लिए वक्ष, मग, गह, पथ्वी, नत्य, नप, कप इत्यादि। इन सभी शब्दों में पहले ही वर्ण में मात्रा लग रही है। इसलिए इस अभ्यास को करना उनके लिए तुलनात्मक रूप से आसान होगा, अगर यही मात्रा शब्द के बीच वाले अक्षर या आखिरी अक्षर के साथ आती।

बच्चों के प्रयास के बाद उनको सही प्रयोग बता सकते हैं। इस तरह से होने वाला अभ्यास बच्चों को आत्मविश्नास को मजबूती देगा।

 

अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए लिंक पर क्लिक करें  https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0

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Poonam

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